दिवाली लक्ष्मी पूजा: विधि, मुहूर्त और परंपराएं

लक्ष्मी पूजा के शुभ मुहूर्त, विधि और परंपराओं पर गहन जानकारी। दिवाली पर समृद्धि और शुभता पाने के लिए सही तरीके अपनाएं।
दिव्य Illumination: दिवाली लक्ष्मी पूजा इन्फोग्राफिक

दिव्य Illumination

दिवाली लक्ष्मी पूजा के मुहूर्त, परंपराओं और विधि का एक विज़ुअल विस्तार

दिव्य आदेश: शुभ मुहूर्त को समझना

लक्ष्मी पूजा की प्रभावशीलता सही समय पर निर्भर करती है। वैदिक ज्योतिष कुछ विशेष अवधियों को ब्रह्मांडीय ऊर्जा से भरपूर मानता है, जो अनुष्ठानों के लिए आदर्श होती हैं।

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अमावस्या तिथि

कार्तिक मास की सबसे अंधेरी रात, जब देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर विचरण करती हैं।

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प्रदोष काल

सूर्यास्त के ठीक बाद का समय, जब दिव्य ऊर्जाएं सबसे शक्तिशाली और सुलभ होती हैं।

🌃

निशिता काल

मध्यरात्रि का समय, जो गहन आध्यात्मिक और तांत्रिक साधना के लिए विशेष रूप से शक्तिशाली है।

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स्थिर लग्न

स्थिर राशियों का उदय, यह सुनिश्चित करने के लिए कि लक्ष्मी का आशीर्वाद घर में 'स्थिर' रहे।

बुद्धि से पहले धन नहीं:
गणेश और लक्ष्मी

लक्ष्मी पूजा में गणेश जी की पूजा पहले की जाती है। यह एक गहरा दार्शनिक सिद्धांत स्थापित करता है: धन (लक्ष्मी) को अर्जित करने और प्रबंधित करने के लिए पहले बुद्धि (गणेश) आवश्यक है।

ज्ञान के बिना, धन अहंकार और विनाश का कारण बन सकता है। यह संयुक्त पूजा 'शुभ' (शुभता) और 'लाभ' (लाभ) दोनों के लिए प्रार्थना है।

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बुद्धि

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समृद्धि

षोडशोपचार: भक्ति के 16 चरण

यह पूजा का सबसे विस्तृत हिस्सा है, जिसमें देवी का एक सम्मानित अतिथि के रूप में स्वागत और सम्मान करने के लिए 16 चरण शामिल हैं।

1

ध्यानम्

देवी का ध्यान

2

आवाहनम्

देवी का आह्वान

3

आसनम्

आसन अर्पित करना

4

पाद्यम्

पैर धोने हेतु जल

5

अर्घ्यम्

हाथ धोने हेतु जल

6

आचमनीयम्

पीने हेतु जल

7

स्नानम्

पंचामृत स्नान

8

वस्त्रम्

वस्त्र अर्पित करना

9

आभूषणम्

आभूषण अर्पित करना

10

गंधम्

सुगंध (चंदन, कुमकुम)

11

अक्षतम्

अटूट चावल

12

पुष्पम्

फूल अर्पित करना

13

धूपम्

अगरबत्ती जलाना

14

दीपम्

दीपक दिखाना

15

नैवेद्यम्

भोजन (खील-बताशे)

16

प्रदक्षिणा

परिक्रमा और प्रणाम

पवित्र संयोजन

पूजा में उपयोग की जाने वाली प्रत्येक वस्तु का गहरा प्रतीकात्मक महत्व है, जो प्रकृति, भक्ति और ब्रह्मांड के विभिन्न पहलुओं का प्रतिनिधित्व करती है।

भूमि भर में गूंज

दिवाली पूरे भारत में मनाई जाती है, लेकिन हर क्षेत्र की अपनी अनूठी परंपराएं हैं, जो त्योहार की सांस्कृतिक विविधता को दर्शाती हैं। नीचे दिया गया चार्ट विभिन्न क्षेत्रों में पूजा के मुख्य फोकस को दर्शाता है।